श्री राम बनाम दशानन रावण, दस सिरों वाले रावण की रणनीति और राम की वीरता के बीच दशहरे की रोमांचक गाथा- ABPINDIANEWS Spacial

श्री राम बनाम दशानन रावण, दस सिरों वाले रावण की रणनीति और राम की वीरता के बीच दशहरे की रोमांचक गाथा- ABPINDIANEWS Spacial
देहरादून: सूरज की तेज़ किरणें लंका के किले की ऊँचाई पर पड़ रही थीं। तलवारें चमक रही थीं और बाण हवा में चक्रीय गति से उड़ रहे थे। धूल, धुआँ और ढोल-नगाड़ों की गूँज ने रणभूमि का माहौल और भी जीवंत बना दिया था। राम अपनी सेना के बीच खड़े थे, दिल में धैर्य और साहस की आग, हाथ में धनुष, आँखों में सत्य और न्याय की चमक।
रावण, दस सिरों वाला दानव राजा, हर सिर से अलग दृष्टिकोण और रणनीति चला रहा था। एक सिर से आक्रमण की योजना, दूसरे से बचाव की रणनीति, तीसरे से अपने सैनिकों का प्रोत्साहन। उसकी भव्यता और विद्वत्ता उसे एक प्रभावशाली प्रतिद्वंदी बनाती थी। युद्ध में क्रूरता के साथ-साथ उसकी ज्ञान, नीति और संगीत में महारत भी झलक रही थी।
रणभूमि का दृश्य फिल्मी था – तलवारें टकरा रही थीं, बाण हवा में चमक रहे थे, और वानर सेना ने पेड़ों और ऊँचाइयों का फायदा उठाकर राक्षसों को चौंका दिया। लक्ष्मण अपने तेज़ धनुष से हर राक्षस पर नजर रख रहे थे। हनुमान की गूँजती हुंकार और वानरों की वीरता ने रणभूमि को जीवंत कर दिया।
रावण ने अपने सबसे भयंकर अस्त्र भेजे – अग्नि और बिजली के झटके, तलवारों और बाणों की बारिश। लेकिन राम ने धैर्य, रणनीति और हनुमान की मदद से हर आक्रमण को टाल दिया। हर क्षण ऐसा लग रहा था जैसे समय ठहर गया हो।
रणभूमि का माहौल एकदम जीवंत था – कभी तेज़ धूप, कभी अंधेरा, धूल-धुआँ, गरजते ढोल, और वानर सेना की हुंकार। रावण की सेना धौंस दिखाने को तैयार थी, लेकिन राम की रणनीति और हनुमान का पराक्रम उसे चुनौती देता रहा।
और वह क्षण आया जब राम ने अपने विशेष बाण से रावण का नाश किया। पूरे युद्धस्थल में अंधकार छंट गया, और उजाला फैल गया। रावण का अंत केवल बुराई की हार नहीं, बल्कि यह संदेश था कि हर महान व्यक्तित्व में अच्छाई और कमजोरियाँ दोनों होती हैं, और सत्य की शक्ति हमेशा विजयी होती है।
रावण का अंत केवल बुराई की हार नहीं था। यह संदेश था कि हर महान व्यक्तित्व में अच्छाई और कमजोरियाँ दोनों होती हैं, और धर्म की शक्ति हमेशा विजयी होती है। रावण की अच्छाइयाँ – ज्ञान, न्यायप्रियता, और शासन कौशल – युद्ध की जटिलता और रोमांच को और बढ़ाती हैं।
इस खबर से अयोध्या में विजय उत्सव चरम पर था। ढोल-नगाड़ों की गूँज, रंग-बिरंगी झांकियाँ, उत्साही दर्शक, और राम का स्वागत – जैसे पूरा शहर दशहरे के रोमांच में डूबा हुआ हो। हर दिल में साहस, उम्मीद और अच्छाई की प्रेरणा जाग उठी।
जब अयोध्या में पता चला कि भगवान श्री राम माता जानकी, लक्ष्मण और हनुमान सहित पुष्पक विमान से आ रहे हैं तो कुछ ऐसा हुआ अयोध्या का माहौल,,,,
🏵️अयोध्या का भव्य स्वागत: राम का लौटना और दशहरे का उत्सव🏵️
जब भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो नगर की हर गली और चौक-चौराहा दीपों, रंग-बिरंगे झंडों और रोशनी से जगमगा उठा। ऐसे लग रहा था जैसे पूरा शहर सपनों की दुनिया में बदल गया हो। हवा में ‘जय श्री राम’ के जयकारे गूँज रहे थे, और हर दिल में उत्साह और उल्लास की लहर दौड़ रही थी।
🏵️दीपों से सजी अयोध्या🏵️
अयोध्यावासी हर घर और मंदिर में दीपक जला रहे थे। गलियों में लगी रोशनी मानो सितारों की चमक को भी मात दे रही हो। छोटे-बड़े दीपों की झिलमिलाहट ने नगर को दिव्य रूप दे दिया था। हर कोना जैसे उत्सव की चमक से दमक रहा था।
🏵️सजावट और रंग-रोगन🏵️
दीवारों, छतों और मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों, झंडों और सजावट से सजाया गया था। हर रंग और पैटर्न से यह प्रतीत हो रहा था कि अयोध्या केवल नगर नहीं, बल्कि खुशी, भक्ति और सौंदर्य का प्रतीक बन गया है।
🏵️खुशी और उल्लास🏵️
हर चौक-चौराहे पर लोग राम नाम का जप कर रहे थे। बच्चे फूलों की माला लेकर दौड़ रहे थे, महिलाएं हाथों में दीपक लेकर नाच रही थीं और पुरुष उत्साह में जयकारे लगा रहे थे। ढोल-नगाड़ों की थाप और घंटियों की ध्वनि पूरे नगर में उत्सव का संगीत बना रही थी।
🏵️नई पोशाकें और रंगीन परिधान🏵️
पुरुष, महिलाएं और बच्चे नए-नए वस्त्रों में सजे थे। उनके चमकदार और रंग-बिरंगे परिधान, फूलों की माला और हंसती-खेलती मुस्कानें पूरे उत्सव को और जीवंत बना रही थीं। हर कदम पर लगता था जैसे नगर स्वयं राम की भक्ति में झूम रहा हो।
🏵️संस्कृति और परंपरा का संगम🏵️
भगवान राम के स्वागत का दृश्य भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहराई को दर्शाता है। यह दिखाता है कि कैसे अयोध्यावासी राम से जुड़े हुए हैं और अपने जीवन में उन्हें सर्वोपरि मानते हैं। दीपों, जयकारों और रंग-बिरंगी सजावट के बीच अयोध्या का यह महोत्सव भक्ति, आनंद और प्रेम का जीवंत प्रदर्शन बन गया।
दशहरा हमें यह सिखाता है कि जीवन में संघर्ष और चुनौती चाहे कितनी भी बड़ी हो, अच्छाई और न्याय अंततः विजयी होते हैं, और हर दिल में रावण जैसी बुराइयाँ और भगवान प्रभु श्री राम जैसी अच्छाई दोनों का हमारे वर्तमान जीवन मे सदैव निरंतर संघर्ष चलता रहता है- गौरव चक्रपाणी✍️