उत्तराखंड केदारघाटी में सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक से रुकेगा भूस्खलन व भू-धंसाव,,,,

उत्तराखंड केदारघाटी में सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक से रुकेगा भूस्खलन व भू-धंसाव,,,,

उत्तराखंड केदारघाटी में सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक से रुकेगा भूस्खलन व भू-धंसाव,,,,

देहरादून- केदारनाथ व केदारघाटी को जोड़ने वाले रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजतमार्ग के रैंतोली-जवाड़ी बाईपास पर भूस्खलन व भूधंसाव को रोकने के लिए सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक से ट्रीटमेंट किया जा रहा है। मिट्टी के धंसाव को रोकने के लिए अलकनंदा नदी तल से चरणबद्ध गेविन वॉल का निर्माण कर स्लोप तैयार किया जा रहा है, जिस पर जूट की पट्टी बिछाई जा रही है

जूट की पट्टी के ऊपर से हाइड्रोसिडिंग की जाएगी। साथ ही पूरे प्रभावित क्षेत्र में रॉक एकरिंग भी की जा रही है। भारत सरकार की ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत सड़क व परिवहन मंत्रालय ने रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग के जवाड़ी बाईपास पर भूधंसाव व भूस्खलन के ट्रीटमेंट के लिए 18 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

इससे बीते छह माह से प्रभावित क्षेत्र का सुधारीकरण किया जा रहा है। यहां 160 मीटर लंबे और 70 मीटर ऊंचे भूधंसाव क्षेत्र में सॉयल एंड रॉक एंकरिंग की जा रही है। साथ ही स्लोप तैयार कर ट्विस्टेड स्टीलनेस वायरिंग से मिट्टी के ऊपर जूट की परत बिछाई जा रही है, जिसके ऊपर हाइड्रोसिडिंग (गीली घास के घोल के साथ बीजों का रोपण) किया जाएगा।

हाईवे को किया जाएगा सुरक्षित
इस विधि से भूस्खलन व भूधंसाव रुकने के साथ ही मिट्टी की परत मजबूत होगी। यही नहीं, पूरे हिस्से में बरसाती पानी की निकासी के लिए अलग-अलग स्तर पर तीन निकास नालियां भी बनाई जा रही हैं। भूस्खलन व भूधंसाव को रोकने के लिए चार स्तर पर रॉक एंकरिंग करते हुए गेविन वॉल भी बनाई गई हैं, जो नदी तल से मिट्टी के कटाव को रोकने का काम करेगी। आगामी मार्च तक यह कार्य पूरा होने की उम्मीद है। भूस्खलन व भूधंसाव जोन की मरम्मत से हाईवे पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगा।

भूस्खलन रोकने में कारगर साबित हो रही रॉक एंकरिंग
भूधंसाव व भूस्खलन जोन में मिट्टी की परत को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्र में रॉक एंकरिंग तकनीक कारगर साबित हो रही है। इस विधि में प्रभावित क्षेत्र में अलग-अलग हिस्सों में तीन से चार मीटर गहरे छेद कर लोहे की रॉड डाली जा रही है। इसके बाद छेदों को कंक्रीट व सीमेंट के घोल से बंद किया जा रहा है, जिससे रॉड को मजबूती मिल रही है। इसके बाद पूरे क्षेत्र में स्टील के तारों से बनी जाली लगाई जा रही है, जिससे सभी लोहे की छड़ों को एक-एक कर जोड़ा जा रहा है। यह जाली भूस्खलन व भूधंसाव को रोकेगी। साथ ही हाइड्रोसीडिंग विधि से अगले दो-तीन माह में यह क्षेत्र हरा-भरा हो जाएगा।

जवाड़ी बाईपास पर भूधंसाव रोकने के लिए सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक से ट्रीटमेंट का कार्य 60 फीसदी से अधिक हो चुका है। उम्मीद है कि आगामी मार्च तक कार्य पूरा हो जाएगा। -प्रेरणा जगुड़ी, प्रभारी अधिशासी अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण खंड, लोनिवि रुद्रप्रयाग

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