राधा अष्टमी, 31 अगस्त, इस दिन व्रत करने से होते हैँ पाप नष्ट और मन की शुद्धि सहित भक्तो को प्राप्त होती है अपार संपदा- ABPINDIANEWS SPECIAL

राधा अष्टमी, 31 अगस्त, इस दिन व्रत करने से होते हैँ पाप नष्ट और मन की शुद्धि सहित भक्तो को प्राप्त होती है अपार संपदा- ABPINDIANEWS SPECIAL

राधा अष्टमी, 31 अगस्त, इस दिन व्रत करने से होते हैँ पाप नष्ट और मन की शुद्धि सहित भक्तो को प्राप्त होती है अपार संपदा- ABPINDIANEWS SPECIAL

 नई दिल्ली – कल 31 अगस्त पर पूरे देश में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा अष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया जाऐगा। यह दिन श्री राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

विशेष रूप से यह पर्व बरसाना, वृंदावन, मथुरा जैसे ब्रजधाम के पावन स्थलों पर बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है, जहां लाखो भक्तगण राधा रानी की भक्ति में लीन होकर पूजा-अर्चना और कीर्तन मे भाग लेते हैं

 

🟢श्री राधा रानी की अवतरण कथा🟢

राधा द्वापर युग में श्री वृषभानु के घर प्रगट होती हैं। कहते हैं कि एक बार श्रीराधा गोलोकविहारी से रूठ गईं। इसी समय गोप सुदामा प्रकट हुए। राधा का मान उनके लिए असह्य हो हो गया। उन्होंने श्रीराधा की भर्त्सना की, इससे कुपित होकर राधा ने कहा- सुदामा! तुम मेरे हृदय को सन्तप्त करते हुए असुर की भांति कार्य कर रहे हो, अतः तुम असुरयोनि को प्राप्त हो। सुदामा काँप उठे, बोले-गोलोकेश्वरी ! तुमने मुझे अपने शाप से नीचे गिरा दिया। मुझे असुरयोनि प्राप्ति का दुःख नहीं है, पर मैं कृष्ण वियोग से तप्त हो रहा हूँ। इस वियोग का तुम्हें अनुभव नहीं है अतः एक बार तुम भी इस दुःख का अनुभव करो। सुदूर द्वापर में श्रीकृष्ण के अवतरण के समय तुम भी अपनी सखियों के साथ गोप कन्या के रूप में जन्म लोगी और श्रीकृष्ण से विलग रहोगी। सुदामा को जाते देखकर श्रीराधा को अपनी त्रृटि का आभास हुआ और वे भय से कातर हो उठी। तब लीलाधारी कृष्ण ने उन्हें सांत्वना दी कि हे देवी ! यह शाप नहीं, अपितु वरदान है। इसी निमित्त से जगत में तुम्हारी मधुर लीला रस की सनातन धारा प्रवाहित होगी, जिसमे नहाकर जीव अनन्तकाल तक कृत्य-कृत्य होंगे। इस प्रकार पृथ्वी पर श्री राधा का अवतरण द्वापर में हुआ।

 

🟢राधा अष्टमी कब मनाई जाती है🟢

राधा अष्टमी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ती है, जो इस वर्ष 31 अगस्त 2025 (रविवार) को है। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 30 अगस्त की रात 10:46 बजे हुआ और यह 1 सितंबर की तड़के 12:57 बजे तक जारी रहेगी।

यह दिन श्री राधारानी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य आराध्या और उनकी आह्लादिनी शक्ति मानी जाती हैं।

 

🟢राधा अष्टमी का महत्व🟢

राधा अष्टमी न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह प्रेम, भक्ति और समर्पण का प्रतीक भी है। शास्त्रों में कहा गया है कि राधा जी का जन्म केवल एक दिव्य घटना नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण के साथ उनकी अभिन्न कड़ी का प्रकटीकरण है।

इस दिन व्रत रखने से पाप नष्ट होते हैं और मन की शुद्धि होती है।

व्रत और पूजा से परिवार में सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

राधा अष्टमी पर कथा श्रवण और राधा-कृष्ण की आराधना से आध्यात्मिक उन्नति होती है।

 

                  🟢श्रद्धा और भावनाएं🟢

“राधा अष्टमी का व्रत मेरी परिवार की खुशहाली का आधार है। इस दिन की पूजा से मन को गहरी शांति मिलती है।”
— नीता शर्मा, बरसाना

“राधा रानी का जन्म हमें प्रेम और समर्पण का पाठ पढ़ाता है। आज के दिन उनका नाम जपना बहुत पुण्यकारी होता है।”
— रितु शर्मा, हरिद्वार

बरसाना, वृंदावन, मथुरा सहित देश के विभिन्न हिस्सों में भजन-कीर्तन, रासलीला और पुष्पवर्षा के साथ राधा अष्टमी मनाई जा रही है। इस अवसर पर भक्तगण राधे-राधे के जयघोष से पूरे देश में वातावरण को भक्तिमय नजर आ रहा है –गौरव चक्रपाणी

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