महाकुंभ प्रयागराज है सनातन का सबसे बड़ा समागम, इस कुंभ में 144 साल बाद बन रहे हैं समुद्र मंथन का दुर्लभ संयोग,,,,,,
महाकुंभ प्रयागराज है सनातन का सबसे बड़ा समागम, इस कुंभ में 144 साल बाद बन रहे हैं समुद्र मंथन का दुर्लभ संयोग,,,,,
प्रयागराज- महाकुंभ इस बार बेहद खास है। ग्रहों की स्थिति बेहद दुर्लभ संयोग बना रही है। 144 साल के बाद महाकुंभ में समुद्र मंथन के संयोग बन रहे हैं। बुधादित्य योग, कुंभ योग, श्रवण नक्षत्र के साथ ही सिद्धि योग में त्रिवेणी के तट पर श्रद्धालु महाकुंभ में डुबकी लगाएंगे।
पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ भव्य और दिव्य महाकुंभ मेले की शुरुआत हो चुकी है. सोमवार की तड़के से ही देशी-विदेशी लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा रहे हैं। आज से ही 45 दिनों के कल्पवास की शुरुआत भी भक्त करेंगे। करीब 12 किलोमीटर क्षेत्र के स्नान घाटों पर जबरदस्त भीड़ है। एपल को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी प्रयागराज पहुंच चुकी हैं। निरंजनी अखाड़े में उन्होंने धार्मिक अनुष्ठान किया।
कल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन महाकुंंभ में पहला अमृत स्नान है। अखाड़े मकर संक्रांति के दिन अमृत स्नान करेंगे। प्रशासन ने इसकी भी तैयारी पूरी कर ली है. संगम की ओर बल्लियां लगाई जा रहीं हैं। नागा साधु इसी रास्ते से दौड़ते हुए शाही स्नान के लिए जाएंगे।
इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को है. पहला शाही स्नान भी इसी दिन है। खास बात यह है कि इस बार कोई भद्रा नहीं है, यह सुबह से शाम तक शुभ रहेगा।
महाकुंभ के महासंयोग
चंद्र एवं बृहस्पति के प्रिय ग्रह बुध मकर राशि में हैं जो बुधादित्य योग बना रहे हैं। कुंंभ योग और राशि परिवर्तन योग इस महाकुंभ को अति विशिष्ट बना रही है। शनि की कुंभ राशि एवं शुक्र तथा बृहस्पति के राशि परिवर्तन की स्थिति का यह संयोग 144 सालों के बाद बन रहा है।