उत्तराखंड हल्द्वानी शहर में लगा कर्फ्यू , 6 लोगों की मौत सैकड़ो घायल तनाव की स्थिति को देखते हुए डीएम ने लिया निर्णय,,,,,
उत्तराखंड हल्द्वानी शहर में लगा कर्फ्यू , 6 लोगों की मौत सैकड़ो घायल तनाव की स्थिति को देखते हुए डीएम ने लिया निर्णय,,,,,
हल्द्वानी: उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में हिंसा और बवाल को देखते हुए डीएम ने लगाया कर्फ्यू। हल्द्वानी शहर में तनाव की स्थिति को देखते हुए डीएम ने लिया निर्णय किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। जाट सूत्रों के अनुसार उक्त हिस्सा में छह लोगों की मौत और सैकड़ो लोग घायल बताए जा रहे हैं। हिंसा में घायल हुए पुलिस कर्मियों से बेस अस्पताल उनका हाल-चाल जानने पहुंची डीएम।
रोडवेज की बसें हटाई, दिल्ली जाने वाली बसें भी डिपो भेजीं
बनभूलपुरा में बवाल के कारण दिल्ली जाने वाली बसों को भी रोकना पड़ा। हल्द्वानी बस अड्डे को खाली करवा दिया गया। इस दौरान दिल्ली जाने वाली करीब 15 बसों को वापस डिपो भेज दिया गया जबकि सवारी बैठी हुईं बसों को तत्काल रवाना किया गया।
हरबंस सिंह, एसओ प्रमोद पाठक समेत पुलिस, निगमकर्मी संग पत्रकारों को पत्थर लगे। छह बजे तक बवाल पूरे क्षेत्र में फैल चुका था। भारी संख्या में उपद्रवी बनभूलपुरा थाने पहुंच गए। जहां उन्होंने थाने के बाहर खड़े पुलिस व मीडियाकर्मियों के एक दर्जन से अधिक वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा अलग-अलग इलाकों में 50 से अधिक वाहन जलाए गए हैं। इसमें पीएसी व पुलिस की दो बस, सड़कों पर खड़े चौपहिया व दोपहिया वाहन शामिल हैं। दर्जनों वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया है।
हाई कोर्ट ने हल्द्वानी में बनभूलपुरा क्षेत्र के मलिक का बगीचा व अच्छन खान के बगीचे में अतिक्रमण ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता साफिया मलिक व अन्य को किसी तरह की राहत नहीं देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 14 फरवरी नियत कर दी है।
यह मामला इतना संवेदनशील था कि सरकार की ओर से महाधिवक्ता व अन्य सरकारी अधिवक्ता पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह भूमि बिना कमिश्नर की अनुमति के कई बार हस्तांतरित की गई है, जबकि यासीन मलिक को यह भूमि कृषि उपयोग के लिए दी गई थी। शर्त थी कि इसमें बिल्डिंग नहीं बनाई जाएगी। यह भूमि ट्रांसफर नहीं हो सकती, लेकिन फिर भी बिक्री कर दी गई, जो नियम विरुद्ध है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि उनके पास 1937 की लीज है, जो मलिक परिवार से मिली है। सरकार इसमें कब्जा नहीं ले सकती। नगर निगम की ओर से जारी नोटिस में मदरसे को अवैध बताते हुए ध्वस्त करने को कहा गया है।