अयोध्या आइए जानते हैं राम मंदिर की ध्वजा पर अंकित ‘कोविदार वृक्ष’ का गहरा धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व,,,,
अयोध्या आइए जानते हैं राम मंदिर की ध्वजा पर अंकित ‘कोविदार वृक्ष’ का गहरा धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व,,,,

देहरादून: अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर केसरिया धर्म ध्वज फहरा दिया गया है, जिसमें सूर्य के साथ कोविदार वृक्ष का प्रतीक अंकित है। इस प्रतीक को देखकर लोगों के मन में जिज्ञासा बढ़ गई है कि आखिर कोविदार वृक्ष का महत्व क्या है और इसे मंदिर के पवित्र ध्वज पर स्थान क्यों दिया गया?

आयुर्वेद के अनुसार कोविदार पौधा औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके फूल, पत्तियां और छाल कई रोगों के उपचार में उपयोग की जाती हैं। कहा जाता है कि यह वृक्ष देवताओं का प्रिय रहा है और इसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है। धार्मिक मान्यता है कि अपने आध्यात्मिक गुणों के कारण कोविदार विशेष पुण्य और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।
भारत में यह वृक्ष पहाड़ों, जंगलों, सड़कों के किनारे और शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल और उत्तराखंड में इसका अस्तित्व काफी सामान्य है। इसके अलावा श्रीलंका और नेपाल में भी इसे देखा जा सकता है।
कोविदार वृक्ष का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा माना जाता है। मान्यता है कि भगवान राम के काल में अयोध्या का राजचिह्न भी कोविदार था और इसे राज्य शासन, शौर्य और धर्म का प्रतीक माना जाता था। रामायण में भी इसका उल्लेख मिलता है जब भरत भगवान राम को वन से वापस लाने निकले थे, तब उनकी सेना की ध्वजा पर भी कोविदार का चिन्ह था। इसी वजह से यह संकेत आज भी राम राज्य, धर्म और विजय के प्रतीक के रूप में स्थापित है।

ध्वजारोहण के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह धर्म ध्वज केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि संघर्ष, संकल्प, विजय और सदियों पुराने स्वप्न के साकार होने की गाथा है। वहीं RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कोविदार जीवन में धैर्य, संकल्प और उच्च आदर्शों की ओर निरंतर बढ़ते रहने का संदेश देता है।

राम मंदिर की धर्म ध्वजा पर कोविदार वृक्ष का अंकन इस बात का संदेश है कि राम राज्य केवल शासन नहीं, बल्कि आदर्शों, मर्यादाओं, धर्म और सनातन मूल्यों की प्रेरणा है।
