हरिद्वार कुंभ क्षेत्र में लगातार धसती सडके सरकार के लिए बन रही है बड़ी मुसीबत
abpindianews, हरिद्वार -हरिद्वार कुंभ 2021 को लेकर सरकार के द्वारा किए जाने वाले दावों की पोल खोल रही है, हरिद्वार की वर्तमान हकीकत। 11 साल बाद पड़ने वाला कुम्भ-2021 कई मायनों में वर्षों वर्षों तक याद किया जाएगा। सनातन धर्म के इस महत्वपूर्ण आयोजन पर पहली दृष्टि कोविड-19 की पड़ी तो उत्तराखण्ड सरकार और मेला प्रशासन ने कोरोना की कुदृष्टि लाभ उठाते हुए हिंदुत्व के भारी दबाव के चलते अनमने ढंग से कुम्भ का आयोजन कराने के लिये तैयार होना पड़ा।
आधा फरवरी गुजरने को है लेकिन अभी तक न तो व्यापारी, न हरिद्वार की जनता को लग रहा है कि हरिद्वार में कुम्भ का आयोजन किया जा रहा है। आये दिन मेला व जिला प्रशासन से 2-4 प्रेस नोट आते है कि आज फला अधिकारी ने यहां निरीक्षण किया, आज वहां बैठक की। यहां का स्थलीय निरीक्षण किया, अधिकारियों को गुणवत्ता की हिदायत दी, समय से कार्य पूर्ण होने की चेतावनी दी। बस इन्हीं निरीक्षण व स्थलीय निरीक्षण में उलझ कर कुम्भ-2021 रह गया। बाकी तो ज्यादा कुछ कुम्भ के नाम पर नहीं हुआ है। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी कहा था कि इस बार का कुम्भ रंगाई, पुताई और कमाई के लिये जाना जाएगा। मजे की बात यह है कि वास्तव में हो भी यही रहा है। दिलचस्प बात यह है कि जब भी कोई बड़ा स्नान पर्व आ जाता है तो प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन एक एसओपी जारी कर देता है जिससे हरिद्वार स्नान को आने वाले श्रद्धालु डर के मारे हरिद्वार नहीं आ पाते है और दूसरा सरकार ने कुम्भ की अवधि भी घटा दी है।
जहां पहले कुम्भ 1 जनवरी से शुरू हो जाता था अब हिंदुत्ववादी सरकार ने उसकी अवधि घटा दी है जिसका परिणाम यह है कि कुम्भ के अधिकतम निर्माण कार्य अभी भी निर्माणाधीनधीन है। जिन्हें पूरा करने के लिये न तो गुणवत्ता जांची जा रही है और न पारदर्शिता। बस सब रेलम पेल हो रहा है। जिसका खामियाजा भविष्य में शहर की जनता को भुगतना पड़ेगा क्योंकि जो भी कुम्भ के नाम पर निर्माण कार्य हो रहे है उनमें गुणवत्ता व पारदर्शिता नाम की कोई चीज नहीं है। जिसका जीता जागता उदाहरण सड़कों का धँसना शहर की जनता के सामने है। कुम्भ के निर्माण कार्य के नाम पर जो सड़के बनाई जा रही हैं वे बनने से पहले ही या तो उखड़ रही है या फिर धंस रही है। अभी चन्द दिनों के अन्दर ही ज्वालापुर व आज कनखल में सड़क धंसने की घटना सामने आई है। गनीमत यह रही कि सड़क धँसने की घटना में कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है। आज कनखल चौक बाजार में सड़क का नव निर्माण चल रहा था जिसमें धंसा ट्रक निर्माण में लगा ट्रक ही धंस गया। जिससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता की पोल स्वयं ही खुल गयी। इसी प्रकार ज्वालापुर में पेशवाई में पड़ने वाली सड़क में भी सड़क धंस गयी थी और रेल पुलिस चौकी के पास भी सड़क की टाइलों से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली भी धंस गयी थी। अब तो मेला मेला प्रशासन को जोर इस बात पर है कि जैसे तैसे कुछ भी हो काम जल्द से जल्द पूरे हो जायें जिसका परिणाम सभी शहर वासियों के सामने है। सरकाऐर के लाख दावे सही परंतु वर्तमान कुंड की हकीकत सामने आने वाले परिणाम खुद बयां कर रहे हैं!