एबीपी इंडिया न्यूज़ के सभी दर्शकों को लोहड़ी पर्व की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं
ABP इंडिया न्यूज – पौराणिक कथाओं के अनुसार, लोहड़ी का पर्व माता सती से जुड़ा हुआ है। यह कथा तो आप सभी जानते हैं, जब माता सती के पिता राजा दक्ष ने महायज्ञ किया था, तब भगवान शिव और माता सती को आमंत्रित नहीं किया गया था। लेकिन माता सती अपने पिता के न बुलाने पर भी यज्ञ में पहुंच गईं, जहां उनका और भगवान शिव का राजा दक्ष द्वारा अपमान किया गया। अपमान से क्रोधित देवी सती ने खुद को हवन कुंड के हवाले कर दिया था।
सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव ने राजा दक्ष का घमंड से भरा हुआ सिर काट दिया था। दक्ष को जब अपनी गलती का अहसास हुआ और बाद में ब्रह्माजी द्वारा प्रार्थना किए जाने पर भगवान शंकर ने दक्ष प्रजापति को उसके सिर के बदले बकर सिर प्रदान करवाकर यज्ञ संपन्न करवाया। इसके बाद जब देवी सती ने पार्वती के रूप में जन्म लिया था, तब पार्वती जी के ससुराल में लोहड़ी के अवसर पर दक्ष प्रजापति ने उपहार भेजकर क्षमा मांगी और भूल सुधारने का प्रयास किया। तभी से नवविवाहित कन्याओं के लिए मायके से वस्त्र व उपहार भेजा जाता है।
लोहड़ी का त्योहार मनाने के पीछे लोहड़ी और होलिका दोनों बहनों की कथा मिलती है। कथा के अनुसार, लोहड़ी की प्रवृति अच्छी थी और लोगों की मदद करती थी। वहीं होलिका का व्यवहार अच्छा नहीं था। होलिका को भगवान शंकर से वरदान के तौर पर एक चादर मिली थी, जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। लेकिन जब होलिका प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई तब प्रहलाद तो बच गया लेकिन होलिका जल गई। इसके बाद से लोहड़ी की पंजाब में पूजा होने लगी और उन्हीं के नाम पर यह पर्व भी मनाया जाता है।