“ब्रह्म कमल” श्रद्धा और आस्था का प्रतीक ब्रह्म कमल,माँ नन्दा देवी का प्रिय पुष्प होने के साथ साथ इस पुष्प की भी होती है विधि-विधान से पूजा अर्चना- ABPINDIANEWS 

“ब्रह्म कमल” श्रद्धा और आस्था का प्रतीक ब्रह्म कमल,माँ नन्दा देवी का प्रिय पुष्प होने के साथ साथ इस पुष्प की भी होती है विधि-विधान से पूजा अर्चना- ABPINDIANEWS 

“ब्रह्म कमल” श्रद्धा और आस्था का प्रतीक ब्रह्म कमल,माँ नन्दा देवी का प्रिय पुष्प होने के साथ साथ इस पुष्प की भी होती है विधि-विधान से पूजा अर्चना- ABPINDIANEWS 

देहरादून: ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों की गोद में, बर्फ से ढकी घाटियों में, जब पूरी प्रकृति गहरी नींद में डूबी होती है…तब एक चमत्कार की तरह खिलता है ब्रह्मकमल”

यह कोई साधारण फूल नहीं, देवताओं का फूल है।
इसे कहा जाता है – “ब्रह्मा का कमल”, क्योंकि माना जाता है कि यह पुष्प सृष्टिकर्ता ब्रह्मा को समर्पित है।


🌙 रात में खिलने वाला चमत्कारी फूल

जहाँ ज़्यादातर फूल सूरज की रौशनी में खिलते हैं,
वहीं ब्रह्मकमल रात के अंधेरे में चुपचाप खिलता है, जैसे कोई ऋषि ध्यान में बैठा हो।
यह फूल साल में सिर्फ एक बार, और वह भी रात के समय ही खिलता है

इसका खिलना एक अलौकिक अनुभव होता है —
चारों ओर फैली उसकी मादक सुगंध, चांदनी रात में चमकता उसका रूप…
मानो स्वयं देवता धरती पर उतर आए हों।


🌸 पूजित होने वाला फूल

ध्यान देने वाली बात ये है कि ब्रह्मकमल को सिर्फ भगवान को चढ़ाया नहीं जाता, बल्कि इसकी पूजा की जाती है।
उत्तराखंड में इसे माँ नन्दा देवी का प्रिय फूल माना जाता है, और नन्दाष्टमी के अवसर पर विशेष विधि-विधान से इसे तोड़ा जाता है।

इसके तोड़ने के भी कड़े नियम होते हैं –
क्योंकि यह सिर्फ एक फूल नहीं, श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है।


🏔 कहाँ पाया जाता है यह दुर्लभ पुष्प?

यह फूल आम जगहों पर नहीं मिलता।
यह सिर्फ 3000 से 5000 मीटर की ऊँचाई पर, हिमालय की कठोर जलवायु में ही उगता है।
भारत में यह मुख्य रूप से उत्तराखंड, हिमाचल, कश्मीर और कुछ हिस्सों में नॉर्थ बर्मा और चीन में मिलता है।

उत्तराखंड में यह पिंडारी, हेमकुंड, फूलों की घाटी, केदारनाथ जैसे पवित्र स्थलों पर पाया जाता है।
इसी कारण इसे उत्तराखंड का राज्य पुष्प भी घोषित किया गया है।


📖 ब्रह्म कमल की पौराणिक कथा

महाभारत में इसका जिक्र मिलता है।
कहा जाता है, एक दिन द्रौपदी को इसकी सुगंध महसूस हुई। वह इतनी मोहित हो गईं कि उन्होंने भीम से इसे लाने की ज़िद कर दी।
भीम ने पर्वतों को पार किया, और उसी यात्रा में उनकी भेंट हनुमान जी से हुई।

इस तरह ब्रह्मकमल न केवल एक फूल है, बल्कि कहानियों, आस्था और चमत्कारों से जुड़ा हुआ एक अद्भुत प्रतीक है।


सारांश

ब्रह्मकमल सिखाता है कि
जो सबसे सुंदर होता है, वह धैर्य, कठिनाई और मौन में ही खिलता है।
यह फूल हमें सादगी, शक्ति और श्रद्धा का पाठ पढ़ाता है।

अगर कभी किस्मत से यह फूल खिला हुआ देख लें… तो समझिए, ईश्वर की एक झलक मिल गई है।


अगर आप चाहें तो इस पर आधारित एक छोटी कविता, कहानी या वीडियो स्क्रिप्ट भी तैयार कर सकता हूँ।

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