क्यों प्रसिद्ध है हरिद्वार शिवालिक पहाड़ियों में स्थित मां मनसा देवी मंदिर आईए जानते हैं मनसा देवी की कथा, पूजा और दर्शनों का महत्व,,,,,

क्यों प्रसिद्ध है हरिद्वार शिवालिक पहाड़ियों में स्थित मां मनसा देवी मंदिर आईए जानते हैं मनसा देवी की कथा, पूजा और दर्शनों का महत्व,,,,,

क्यों प्रसिद्ध है हरिद्वार शिवालिक पहाड़ियों में स्थित मां मनसा देवी मंदिर आईए जानते हैं मनसा देवी की कथा, पूजा और दर्शनों का महत्व,,,,,

हरिद्वार (गौरव चक्रपाणी)- धर्मानगर हरिद्वार में शिवालिक पर्वत माला में स्थित मां मनसा देवी सभी भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करती है। मान्यता के अनुसार मां मनसा देवी भगवान शिव और माता पार्वती की लाडली पुत्री हैं। मनसा देवी को नागों की बहन भी माना जाता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में कई देवी-देवताओं की महिमा और उनकी कथा वर्णित उन देवियों में से एक है मां मनसा देवी। शास्त्रों के अनुसार मां मनसा देवी की पूजा करने से मनुष्यों की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है। यह भगवान शिव और माता पार्वती की लाडली बेटी है। इनके दर्शनों के लिए देश विदेशो से श्रद्धालु माता मनसा देवी के दर्शन करने आते हैं।

                    🏵️ मनसा देवी मंदिर 🏵️

मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मां मनसा देवी का मंदिर हरिद्वार शहर से लगभग 3 किलोमीटर ऊंचाई पर शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित है। यह पहाड़ी हिमालय के दक्षिण भाग में स्थित है। यहां हर दिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ माता के दर्शन करने आती है। अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए श्रद्धालु मंदिर पगण में पेड़ लगे पेड़ की शाखा में डोरी बांधते है और मनोकामना पूर्ण होने पर वह श्रद्धालु यहां दोबारा आकर उस धागे को खोलते हैं। विश्व प्रसिद्ध हर की पौड़ी से और हाईवे से शिवालिक पर्वतमाला पर स्थित मनसा देवी मंदिर की शोभा देखते ही बनती है।

शिवालिक पर्वतमाला

             🏵️ मनसा देवी की जन्म कथा 🏵️

आइए जानते है अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली मां मनसा देवी की जन्म कथा। पुराणों के अनुसार जब भगवान शिव और माता पार्वती मानसरोवर झील में जल क्रीड़ा कर रहे थे। तब दोनों का तेज इकट्ठा होकर कमल के पत्ते पर जमा हो गया था। तब उनकी संरक्षण के लिए वहां मौजूद नागकन्याओं (सर्पणियो) ने इस तेज को अपनी कुंडली में लपेट लिया। महादेव और माता के इस तेज से जिस कन्या का जन्म हुआ वही विश्व में मां मनसा देवी माता के रूप से विख्यात है।

 

               🏵️ दूसरी कथा के अनुसार 🏵️

जब भगवान शिव शंकर एक सुंदर योगी का रूप धारण करके पृथ्वी पर विचार रहे थे, तब उनका सुंदर रूप देखकर कपड़ा धो रही एक गांव की महिला उन पर मोहित हो गई और उन्हें अपने वश में करने के लिए भगवान शिव के ही बनाएं वशीकरण मंत्र का उपयोग करने लगी। तब शिव शंकर अपने बनाएं हुए तंत्र की मांग को रखने के लिए वह उस स्त्री के वशीकरण पाश में बंध गए। तब इन दोनों के संबंध से जो कन्या उत्पन्न हुई वह मनसा देवी के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि मां मनसा देवी का आधा अंश दैवी है और आधा अंश मनुष्य का है।

🏵️ मंदिर की मान्यता 🏵️

मान्यता है कि मां मनसा देवी का मंदिर एक दिव्य एवं अलौकिक मंदिर है। यहां धागा बांधने से मनुष्य की हर मनोकामना पूरी होती है। मनसा देवी जब भगवान शिव शंकर और माता पार्वती के पास कैलाश पहुंची तो उन्हें आता देख महादेव जी के गले में लटके नागराज वासुकी ने भगवान शंकर से प्रार्थना करते हुए कहा हे प्रभु मनसा देवी को नागलोक भेज दिजिए क्योंकि विश्व के प्रमुख अष्टनागों यानी हमारी कोई बहन नहीं है। तब भगवान शंकर ने अपने भक्त वासुकी की बात मानते हुए उन्हें नागलोक का साम्राज्य प्रदान कर दिया। इसलिए मां मनसा देवी को संपूर्ण नागलोक और नागजाति की बहन और पुत्री माना गया है। इस कारण से उन्हें संपूर्ण नाग जाति मैं पूज्य माना जाता है। तो यह है सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाली मां मनसा देवी की जन्म कथा।

 

 

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