उत्तराखंड ने खोया अपना सच्चा जननायक, पूर्व कैबिनेट मंत्री और जन प्रिय नेता दिवाकर भट्ट को हरिद्वार मे राजकीय सम्मान के साथ दी अंतिम विदाई,,,,,,,
उत्तराखंड ने खोया अपना सच्चा जननायक, पूर्व कैबिनेट मंत्री और जन प्रिय नेता दिवाकर भट्ट को हरिद्वार मे राजकीय सम्मान के साथ दी अंतिम विदाई,,,,,,,

हरिद्वार: उत्तराखंड राज्य आंदोलन के महानायक, पूर्व कैबिनेट मंत्री और जन-जन के प्रिय नेता दिवाकर भट्ट के निधन की खबर से पूरा उत्तराखंड शोक में डूब गया। आंदोलन के संघर्ष, अस्मिता और राज्य निर्माण के प्रतीक माने जाने वाले दिवाकर भट्ट का जाना प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके नेतृत्व, सरल व्यक्तित्व और संघर्षशील राजनैतिक जीवन ने उन्हें जनता के हृदय में विशेष स्थान दिया।

भट्ट जी के योगदान और सम्मान के प्रतीक स्वरूप आज हरिद्वार में उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनकी स्मृति में जनपद हरिद्वार के सभी सरकारी कार्यालयों में अवकाश घोषित किया, जिससे उनके कद और राज्य निर्माण में निभाई गई भूमिका का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

मुख्यमंत्री की ओर से जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोभाल ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया। इस दौरान पूरा वातावरण भावुकता से भर उठा और उपस्थित लोगों की आंखों में दिवाकर भट्ट के प्रति सम्मान और विदाई का दर्द साफ दिख रहा था।

आज दोपहर 2 बजे खड़खड़ी श्मशान घाट पर उनके पुत्र ललित भट्ट द्वारा मुखाग्नि देते समय पूरा परिसर ‘उत्तराखंड के अमर सपूत अमर रहें’ के नारों से गूंज उठा। जनमानस की भीड़ ने यह स्पष्ट कर दिया कि दिवाकर भट्ट केवल एक नेता नहीं बल्कि जनता की भावनाओं और राज्य निर्माण के आत्मबल थे।

उनकी अंतिम यात्रा में भारी जनसैलाब उमड़ा और प्रदेश की कई प्रमुख हस्तियों ने उपस्थित होकर उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विधायक मदन कौशिक, आदेश चौहान, रवि बहादुर, मोहम्मद शहजाद, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल, यूकेडी अध्यक्ष सुरेंद्र कुकरेती, पूर्व यूकेडी अध्यक्ष काशी सिंह एरी सहित अनेक राजनैतिक एवं प्रशासनिक प्रतिनिधि शामिल थे।
आज केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक युग विदा हुआ है। वह युग जिसने उत्तराखंड को जन्म दिया, संघर्षों को दिशा दी और जनता की आवाज़ को विधानसभाओं तक पहुंचाया। दिवाकर भट्ट भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका संघर्ष, समर्पण, विचारधारा और राज्य निर्माण की विरासत सदैव इतिहास और करोड़ों उत्तराखंडवासियों के हृदय में जीवित रहेगी।
