उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान प्रदेश में हुई शिक्षकों की मौतो के वास्तविक आंकड़े छुपा रही है सरकार- विपक्ष। उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ द्वारा जारी मृत शिक्षकों की संख्या 1621 और सरकार बता रही है मात्र 3 शिक्षकों की मौत?
abpindianews, उत्तर प्रदेश – लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में पंचायत चुनाव के दौरान शिक्षकों की हुई मौत पर राजनीति लगातार गर्माती जा रही है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने पीड़ित परिवार को किसी तरह की सहायता न दिए जाने पर यूपी सरकार पर निशाना साधा है। वहीं यूपी सरकार ने शिक्षकों की हजारों मौतें होने की बातों को भ्रामक बताया है। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने ट्वीट करके कहा कि सत्ता पाने के लिए कांग्रेस कुछ भी करने को तैयार है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा है कि प्रदेश की बीजेपी सरकार चुनाव ड्यूटी में तैनात मृत शिक्षकों के परिजनों को मुआवजा देने से बचने के लिए जानबूझकर झूठ बोल रही है। सरकार के अनुसार चुनावी ड्यूटी की वजह से केवल तीन शिक्षकों की मौत हुई है, जबकि शिक्षक संघ का दिया आंकड़ा 1000 से अधिक है। भाजपा सरकार ‘महाझूठ का विश्व रिकॉर्ड’ बना रही है। परिवार वालों का दुख ये हृदयहीन भाजपाई क्या जानें।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अपने ट्विटर एकाउंट से शिक्षकों की मौत के सरकारी आंकड़े पर सवाल उठाया हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को जीते जी उचित सुरक्षा और इलाज नहीं मिला और अब सरकार उनका सम्मान भी छीन रही है। प्रियंका ने कहा है कि 1621 शिक्षकों की उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ द्वारा जारी सूची को सरकार झूठ बता रही है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी ट्वीट कर के कहा है कि पंचायत चुनाव की ड्यूटी निभाने वाले शिक्षकों व अन्य सरकारी कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत की शिकायतें आम हो रही है, लेकिन इनकी सही जांच न होने से इनके परिजनों को उचित सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा है कि डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की सेवाकाल के दौरान हो रही बीमारी व मृत्यु की खबरें दुखद हैं।
अब देखना है यूपी सरकार शिक्षकों की मौत के आंकड़ों पर जो सवाल विपक्ष उठा रहा है, उसका जवाब कैसे और किस रूप सामने रखती है। लेकिन पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के बाद कोरोना से संक्रमित शिक्षकों की मौत का आकड़ा चाहे जो भी हो, मृत शिक्षकों के आश्रितों को हर संभव सहायता जरूर मिलनी चाहिए।