आज है शनि जयंती, आइए जानते हे कैसे शनिदेव को मनाए और कैसे करें उनकी पूजा
abpindianews, उज्जैन महाकाल (चेतन पंडित)- जय श्री महाकाल जल्पेश्वर महादेव की जय हो। कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस बार यह शुभ तिथि 10 जून को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। शनि जयंती का दिन भगवान शनि की कृपा प्राप्त करने और कुंडली में शनिदोष से मुक्ति के लिए बेहद शुभ माना जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है, वह कर्मों के हिसाब से फल देते हैं।
कैसे करें शनिदेव की पूजा
शनिदेव की पूजा करते समय हमेशा ध्यान में रखें कि उनकी आंखों में देखकर पूजा न करें, ऐसा करने से उनकी वक्री दृष्टि का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जब भी शनिदेव पूजा करें तो अपनी नजर हमेशा उनके पैरों में रखें, जिससे उनका आशीर्वाद और कृपा प्राप्त की जा सके।
शनिदेव की पूजा कैसे न करें
जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हैं या फिर शनि महादशा चल रही है तो इस दिन पूजा विधि-विधान से करके शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है और कुंडली में मौजूद दोषों का निवारण कर सकते हैं।
शनि जयंती के दिन क्या नही करना चाहिए
शनि जयंती के दिन या कभी भी छल कपट और गलत काम करने से बचना चाहिए और झूठ नहीं बोलना चाहिए। इसके साथ ही मांस-मदिरा के सेवन करने से बचना चाहिए। ऐसा करने से शनि महादशा के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है और कुंडली में शनि की स्थिति भी मजबूत होती है, जिससे वह शुभ फल देना शुरू करते हैं। इससे जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती।
कैसे प्राप्त करें शनिदेव का आशीर्वाद
शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सूर्यग्रहण के बाद शनिमंदिर जाकर दर्शन करें और सरसों के तेल का अभिषेक करें। इसके साथ ही शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए आप हनुमानजी की पूजा करें और सुंदरकांड का पाठ करें। शनि जयंती के दिन आप शनि से संबंधित चीजों का दान कर सकते हैं। ऐसा करने शनि की दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
जीवन के हर दुख तकलीफ एवं दरिद्रता से मुक्ति पानी हेतु देव के शक्तिशाली मंत्र
श्री नीलान्जन समाभासं ,रवि पुत्रं यमाग्रजम।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं, तं नमामि शनैश्चरम ।।
ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीपतये शनयो रविस्र वन्तुनः।
ॐ शं शनैश्चरायै नम:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनेर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाशयेन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखम।।
ऊं कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि:
प्रचोदयात्
हर शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ और शमी के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इससे आपकी शनिदशा कम होगी और आपको लाभ होगा। आज शनि जयंती की टीम शनि मंदिर में जाकर पूजा अर्चना एवं उनके दर्शन मात्र से आप अपने जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
ओम शनिश्चराय नमः