उत्तराखंड में गृह मंत्रालय ने शुरू की प्रदेश की दो बहुद्देशीय परियोजनाओं की निगरानी, जल्द मिल सकती है स्वीकृतियां,,,,

उत्तराखंड में गृह मंत्रालय ने शुरू की प्रदेश की दो बहुद्देशीय परियोजनाओं की निगरानी, जल्द मिल सकती है स्वीकृतियां,,,,

उत्तराखंड में गृह मंत्रालय ने शुरू की प्रदेश की दो बहुद्देशीय परियोजनाओं की निगरानी, जल्द मिल सकती है स्वीकृतियां,,,,

देहरा­दून: गृह मंत्रालय उत्तराखंड की दो बहुद्देशीय परियोजनाओं की निगरानी करेगा। नए साल में इस पर बात बढ़ेगी। जल्द स्वीकृतियां मिल सकती हैं।

उत्तराखंड की भावी दो बड़ी बहुद्देशीय परियोजनाओं किसाऊ और लखवाड़ को नए साल में नई दिशा मिलेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी कमान संभाल ली है। लगातार दोनों को लेकर समीक्षा बैठक की जा रही है।

🟢 किसाऊ की संशोधित डीपीआर तैयार, गृह सचिव ने की समीक्षा
किसाऊ बांध परियोजना की संशोधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार हो गई है। 1940 के दशक में इस परियोजना का बीजारोपण हुआ था। वर्ष 1996 में इसकी एक डीपीआर तैयार हुई लेकिन पर्यावरण संबंधी आपत्तियों और अन्य कारणों से यह आगे नहीं बढ़ पाई। वर्ष 2008 में केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया। नई डीपीआर बनाने का फैसला हुआ लेकिन काम आगे नहीं बढ़ पाया। वर्ष 2021 में संशोधित डीपीआर बनाने का फैसला हुआ। यह डीपीआर अब तैयार हो चुकी है, जिससे परियोजना करीब 15 हजार करोड़ रुपये में तैयार होगी।

बृहस्पतिवार की देर शाम सचिव, गृह मंत्रालय ने इसकी बैठक ली, जिसमें यूजेवीएनएल और किसाऊ कारपोरेशन के एमडी डॉ. संदीप सिंघल भी शामिल हुए। बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय इस परियोजना को जल्द निर्माण के चरण में लाना चाहता है। डीपीआर एप्रूवल के लिए केंद्र को भेजी जाएगी, जिस पर पर्यावरणीय व अन्य स्वीकृतियां होंगी।

टिहरी के बाद एशिया की दूसरी सबसे बड़ी इस परियोजना से उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के 17 गांव जलमग्न होंगे। जिससे करीब 1000 परिवारों का विस्थापन होगा। बहुउद्देशीय किसाऊ जलविद्युत परियोजना के पूरी होने के बाद 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। साथ ही उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के किसानों को सिंचाई के लिए पानी भी मिल सकेगा। इससे यमुना में पानी की कमी भी दूर होगी।

🟢 लखवाड़ छह राज्यों को देगी सिंचाई-पीने का पानी
लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना को सरकार ने वर्ष 1976 में मंजूरी दी थी। परियोजना का काम वर्ष 1992 में रोक दिया गया था। 300 मेगावाट की इस परियोजना को दोबारा शुरू करने के लिए अनुमति मिली थी। इसके लिए देहरादून के लोहारी गांव के निकट यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनेगा। बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी।

इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की जा सकेगी। यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू एवं औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए 78.83 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। इससे जुड़ी व्यासी परियोजना से यूजेवीएनएल 120 मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू कर चुका है।

अब लखवाड़ का काम नए साल में गति पकड़ने का अनुमान है। इसे 2018 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया था। इसमें 90 प्रतिशत बजट केंद्र सरकार और 10 प्रतिशत राज्यों की सरकारें खर्च करेंगी। इससे उत्तराखंड और यूपी को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। यमुना बेसिन के छह राज्यों (दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) को गर्मियों में पेयजल मिल सकेगा। गृह मंत्रालय इसकी भी समीक्षा कर रहा है।

abpindianews

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share