उत्तराखंड चुनाव आयोग की लापरवाही के चलते निकाय चुनाव की वोटर लिस्ट भारी गड़बड़ी, सैकड़ो मतदाताओं के नाम गायब, जनता में भारी रोष,,,,,

उत्तराखंड चुनाव आयोग की लापरवाही के चलते निकाय चुनाव की वोटर लिस्ट भारी गड़बड़ी, सैकड़ो मतदाताओं के नाम गायब, जनता में भारी रोष,,,,,

उत्तराखंड चुनाव आयोग की लापरवाही के चलते निकाय चुनाव की वोटर लिस्ट भारी गड़बड़ी, सैकड़ो मतदाताओं के नाम गायब, जनता में भारी रोष,,,,,

देहरादून: उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव में मतदान सूची से गायब है सैकड़ों मतदाताओं के नाम मतदाताओं में भारी गुस्सा। शासन प्रशासन के लाख दावों के बाद भी वोटर लिस्ट से गायब हैं सैकड़ो मतदाताओं के नाम। उत्तराखंड चुनाव आयोग की लापरवाही के चलते कसी क्षेत्र में आवश्यकता से ज्यादा वोटर तो कहीं लिस्ट से गायब है सैकड़ों नाम, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी नहीं डाल पाए वोट।

उत्तराखंड में 100 नगर निकायों के लिए आज वोट डाले जा रहे हैं। लोगों में वोटिंग को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। वोटर सुबह से ही लाइनों में लग गए थे। लेकिन, बड़ी संख्या में वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से गायब मिले। इससे लोगों में निराशा भी देखी गई। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तक का नाम वोटर लिस्ट से गायब मिला। नगर निकाय चुनाव में 2 बजे तक 42.19 फीसदी वोटिंग हो चुकी है।

मतदान के दिन कई वोटर अपना वोट ढूंढने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. इसमें न केवल आम आदमी बल्कि बड़े ओहदे पर बैठ चुके पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी शामिल हैं। कई लोगों के परिवार के किसी भी सदस्य का नाम लिस्ट में नहीं है। लोग बूथों के चक्कर काटते रहे। लेकिन, उनका नाम नहीं मिल पाया।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का नाम वोटर लिस्ट में खोजा गया। अलग-अलग बूथों पर उन्होंने भी चक्कर लगाए, लेकिन कहीं भी उनका नमा नहीं था। यही स्थिति पहाड़ से लेकर मैदान तक देखने को मिली। इससे चुनाव आयोग के दावों की भी पोल खुल गई।

चुनाव आयोग बार-बार दावे कर रहा था कि सभी तरह से वोटर लिस्टों की जांच कर ली गई है। कई लोग ऐसे भी हैं, जो सालों से अपने बूथ पर बोट देते आ रहे है। लोकसभा चुनाव में भी मतदान किया था। लेकिन, अब पंचायत चुनावों के उनको नाम वोटर लिस्ट से गायब है। लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर ऐसे कैसे हो सकता ह?

कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि उनके नाम वोटर लिस्ट से किसी आधार पर हटाए गए। एक तरफ वोटिंग के लिए जागरूक किया जा रहा है और जब मतदाता पोलिंग बूथ पर पहुंच रहा है, तो उसके वोट गायब है। इस स्थिति के लिए कोई जिम्मेदार है, इसकी जांच की जानी चाहिए।

वहीं दूसरी और प्रदेश में चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई वोटर लिस्ट में भारी गड़बड़ी दिखाई दी। प्रदेश के कई क्षेत्रों में पुरा मोहल्ला मोहल्ला तो कहीं गायब है सैकड़ो मतदाताओं के नाम, वोटर लिस्ट में नाम न होने के चलते जनता में दिखा भारी गुस्सा।

बड़ा सवाल 

गौर करने वाली बात यह है कि 2500 से 3000 वोटरों की संख्या वाले वार्डों में यदि 200 से 500 वोटरो के नाम गायब है तो चुनाव प्रक्रिया का निरपेक्ष होना कैसे संभव है। जिन वार्डों में प्रत्याशियों में जीत का अंतर 20 से 100 के बीच रहेगा और उस वार्ड में 200 से ज्यादा वोटरों के नाम मतदाता सूची से गायब हो तो उस स्थिति में चुनाव परिणाम के निरपेक्ष होने पर एक सवालिया निशान खड़ा होता है। जिसका जवाब अब शायद चुनाव आयोग के लिए देना अब संभव नहीं हो पाएगा परंतु आगामी चुनाव में जिम्मेदार विभाग को प्रदेश की वोटर लिस्ट पर विशेष ध्यान देते हुए प्रदेश के तमाम वोटरों के नाम वोटर लिस्ट में सुनिश्चित करने चाहिए ताकि प्रदेश में हर वोटर अपने मतदान का प्रयोग कर प्रदेश के चौमुखी विकास हेतु अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सके।

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