उत्तराखंड तेज बरसात के चलते गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर हर कदम पर भूस्खलन का खतरा……

उत्तराखंड तेज बरसात के चलते गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर हर कदम पर भूस्खलन का खतरा……

उत्तराखंड तेज बरसात के चलते गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर हर कदम पर भूस्खलन का खतरा……

देहरादून: केदारनाथ पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी की पैदल दूरी तय करनी होती है। गौरीकुंड घोड़ा पड़ाव पूरा चट्टानी है। चीरबासा पूरा भूस्खलन जोन है।

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर पग-पग पर खतरा बना है। कैंचीदार मोड़ और तीखी चढ़ाई के बीच भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। गौरीकुंड घोड़ा पड़ाव से छानी कैंप तक करीब 13 किमी मार्ग पर ऊपरी तरफ खड़ी पहाड़ी और नीचे की तरफ गहरी खाई और मंदाकिनी नदी बह रही है। यहां हल्की चूक जीवन पर भारी पड़ती है, बावजूद शासन-प्रशासन द्वारा सुरक्षा कार्य तो दूर योजना तक नहीं बनाई गई।

केदारनाथ पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी की पैदल दूरी तय करनी होती है। गौरीकुंड घोड़ा पड़ाव पूरा चट्टानी है। चीरबासा पूरा भूस्खलन जोन है। जंगलचट्टी से भीमबली तक दो किमी का क्षेत्र जंगल से घिरा है, जिसमें ऊपरी तरफ से पहाड़ी भाग से पत्थर व मलबा गिरने का खतरा बना है। गौरीकुंड से भीमबली तक का रास्ता पुराना है, जो आपदा के बाद से काफी संवेदनशील है।

भूस्खलन और एवलांच जोन में होने के कारण यहां भू-धंसाव का खतरा बना है, बावजूद सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। यही नहीं लिनचोली से छानी कैंप के बीच तीन किमी क्षेत्र में पहाड़ी से पत्थर गिरने से बीते वर्षों में कई यात्रियों की मौत भी हो चुकी है। रामबाड़ा से बड़ी लिनचोली तक कैंचीदार मोड़ वाली चढ़ाई है। नए रास्ते के छह किमी क्षेत्र में छह हिमखंड जोन हैं, जो अलग से परेशानी का सबब बने हैं।

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