हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण को की भंग करने की मांग- अरविंद कुमार श्रीवास्तव अध्यक्ष- रूल ऑफ लॉ एंड जस्टिस फाउंडेशन (रजि.)
हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण को की भंग करने की मांग- अरविंद कुमार श्रीवास्तव अध्यक्ष- रूल ऑफ लॉ एंड जस्टिस फाउंडेशन (रजि.)
हरिद्वार: वरिष्ठ अधिवक्ता (डा.) अरविंद कुमार श्रीवास्तव अध्यक्ष- रूल ऑफ लॉ एंड जस्टिस फाउंडेशन (रजि . ) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण को भंग करने की मांग की है, उन्होंने पत्र में लिखा है कि, हरिद्वार रूडकी में भवन होटल, थर्मशाला, कामर्शियल विल्डिंग को विनियमित करने का कार्य हरिद्वार रूडकी विकास प्राधिकरण के अन्तर्गत आता है। चूंकि हरिद्वार एक धार्मिक स्थल होने के कारण समस्त विश्व से यात्री पर्यटक आते है जिस कारण से हरिद्वार में होटल, धर्मशाला की बहुतायत है, किन्तु हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने उनको दिये गये दायित्वों का निर्वहन न करते हुये हरिद्वार में ऐसे कॉम्पलेक्स, होटल आदि का निर्माण करा दिया है जिनमें नियमों के मुताबिक पार्किंग स्थल नहीं छोड़ा गया है। जिस कारण से व्यवसायिक कॉम्पलेक्स में आने वाले ग्राहको व होटल में ठहरने वालो यात्रियों के बाहन सडक पर स्थानिय पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से खडे किये जाते है, जिससे सडक अवरूद्ध होकर जाम की स्थिति शहर में लगातार बढ़ रही है तथा आये दिन यही अवैध पार्किंग झगडो का कारण भी बनती है। कई होटल मालिको ने बच्चों के खेलने के लिये छोडा गया स्थान को कब्जा कर होटल की पार्किंग में तब्दील कर दिया गया है, तथा हरिद्वार की कई कालोनियां पार्किंग स्थल में तब्दील हो गयी है जिनमें माताओं बहनो का घर से बाहर निकलना दुभर हो गया है, क्योंकि ऐसी कालोनियों में अवैध रूप से खड़े वाहनों में गुण्डा तत्व मदिरा का सेवन करते अक्सर देखे जा रहे है, जिसकी जिम्मेदारी पूर्णतः हरिद्वार रूडकी प्राधिकरण की होती है । जिससे प्रतीत होता है कि हरिद्वार रूडकी विकास प्राधिकरण अपने कर्तत्यों के प्रति उदासीन है तथा होटल, धर्मशाला व्यसायिक कॉम्पलेक्स से साज कर उनको बिना पार्किंग के होटल कॉम्पलेक्स बनाने की छूट दे रहा है, जिससे स्पष्ट है कि हरिद्वार में हरिद्वार रूडकी विकास प्राधिकरण की कोई आवश्यकता शेष नहीं बची है, ऐसे में प्रार्थी के द्वारा सुझाये गये तथ्यों को जांच कराकर हरिद्वार रूडकी विकास प्राधिकरण को भंग कर इसकी व्यवस्था किसी अन्य ईमानदार संस्थान को दी जानी चाहिए ।