“राज और गरिमा  – प्रेम की खामोश धड़कनें और खतरे की परछाइयाँ” एक रोमांटिक–थ्रिलर कहानी- SUNDAY SPACIAL

“राज और गरिमा  – प्रेम की खामोश धड़कनें और खतरे की परछाइयाँ” एक रोमांटिक–थ्रिलर कहानी- SUNDAY SPACIAL

“राज और गरिमा  – प्रेम की खामोश धड़कनें और खतरे की परछाइयाँ” एक रोमांटिक–थ्रिलर कहानी- SUNDAY SPACIAL

देहरादून- रात का शहर हल्की फुहारों में भीग रहा था। सड़क के दोनों ओर पीली लाइटों की कतारें किसी अनकही कहानी की तरह टिमटिमा रही थीं। ऐसे ही माहौल में गरिमा अपनी कोचिंग से घर लौट रही थी, लेकिन उसे इस बात का अंदेशा भी नहीं था कि उस रात उसकी जिंदगी का रास्ता बदलने वाला है।

अचानक पीछे से आती कदमों की आहट तेज हुई।
गरिमा ने रफ्तार बढ़ाई…
दिल की धड़कनें जैसे कानों तक सुनाई देने लगीं।

तभी किसी ने धीरे से कहा—
“डरिए मत… मैं हूँ।”

वह आवाज राज की थी।
गरिमा एक पल को ठिठक गई—
डर कम हुआ, पर हैरानी ज़्यादा।
राज वहाँ कैसे? और उसी समय?

 

🏵️ पहली मुलाक़ात में खतरा

राज ने धीरे से कहा,
“गरिमा… तुम पर नज़र रखी जा रही है। मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ सकता।”

गरिमा की आँखें चौड़ी हो गईं।
ऐसा पहली बार था जब राज ने इतना गंभीर अंदाज़ अपनाया था।

दोनों तेजी से रोड पार करके एक कैफ़े में पहुँचे।
हल्की-सी रोशनी, धीमी संगीत…
गरिमा की बेचैनी इस माहौल में थोड़ी थमी।

राज उसकी ओर झुककर बोला—
“मैं तुम्हें काफी दिनों से देख रहा हूँ। रास्ता बदलो तो भी वही बाइक… वही काली जैकेट… कोई पीछा कर रहा है।”

गरिमा की रीढ़ में सिहरन दौड़ गई।
और उसी सिहरन में एक अजीब-सी सुरक्षा का एहसास—
राज का साथ।

 

🏵️ प्रेम की शुरुआत खतरे के साये में

राज ने उसे घर तक छोड़ा।
गरिमा खिड़की से उसे जाते हुए देखती रही…
पर इस बार उसकी नजरों में सिर्फ डर ही नहीं,
एक अनकहा अपनापन भी था।

अगले कुछ दिनों में उनकी मुलाकातें बढ़ीं।
कभी लाइब्रेरी…
कभी बारिश वाला कॉफी शॉप…
कभी बस यूं ही कॉलेज की सीढ़ियाँ…

गरिमा कहती—
“तुम हमेशा सही समय पर कैसे आ जाते हो?”
राज मुस्कुराता—
“शायद… तुम्हें ढूँढने के लिए मेरा दिल ही रास्ते बता देता है।”

उनके बीच का आकर्षण अब प्रेम बन चुका था।
लेकिन खतरा अभी खत्म नहीं हुआ था।

 

🏵️ रहस्यमयी पीछा करने वाला

एक शाम गरिमा का फोन आया—
उसकी आवाज काँप रही थी।
“राज… वह आदमी दरवाज़े के बाहर खड़ा है… मुझे देखकर भाग गया।”

राज बिना सोचे उसकी तरफ दौड़ा।
गली अँधेरी थी, माहौल डराने वाला।
राज ने आसपास देखा… फिर दीवार के पीछे छिपी एक परछाई भागी।
राज उसके पीछे दौड़ा, लेकिन वह भीड़ में गायब हो गया।

गरिमा कांपी हुई थी।
राज ने उसे बाँहों में भर लिया—
उस आलिंगन में पहली बार दोनों ने एक-दूसरे के दिल की धड़कनें सुनीं।
और स्वीकार किया कि वे एक-दूसरे से प्रेम करते हैं।

 

🏵️ सच्चाई का खुलासा और चरम मोड़

काफी पड़ताल के बाद पता चला कि वह पीछा करने वाला कोई और नहीं,
बल्कि गरिमा का पूर्व पड़ोसी था—
जो उसकी मासूमियत से प्रभावित होकर उसे अपने कब्जे में रखना चाहता था।

उस रात जब गरिमा अपने कमरे में अकेली थी, उसने खिड़की खुलने की आवाज सुनी।
वह आदमी अंदर आने की कोशिश कर रहा था।
गरिमा ने चीखा—
और उसी पल राज वहाँ पहुँच गया।

छत पर हुई खतरनाक लड़ाई में राज घायल हो गया,
पर उसने उस आदमी को पुलिस के हवाले कर दिया।

गरिमा उसके घावों पर पट्टी बाँधते हुए रो पड़ी—
“अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो…?”
राज ने उसका हाथ थाम लिया—
“जब तक मैं हूँ, तुम्हें कोई छू भी नहीं सकता।”

 

🏵️ खतरे के बाद का प्रेम

इस घटना ने दोनों को पहले से ज्यादा करीब ला दिया।
उनका प्रेम अब सिर्फ एहसास नहीं था…
एक वादा था, एक सुरक्षा थी, एक जीवन था।

गरिमा ने राज को देखते हुए कहा—
“तुमने मुझे सिर्फ बचाया नहीं…
मेरी जिंदगी में रोशनी भर दी है।”

और राज मुस्कुराते हुए बोला—
“तुम्हें बचाते-बचाते…
मैं खुद तुममें गुम हो गया हूँ।”

,,,,,,,, के साथ प्रेम पूर्वक गरिमा और राज के जीवन की आगे बढने लगी।

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